Tuesday, February 23, 2021

नंदन वन में

बैद्यनाथ साहित्योत्सव 

कविता विहरत नन्दन वन में,
तीन दोष की औषधि ढूंढत बैद्यनाथ के वन में।
भाव छँद रस भूषित अक्षर 
शंकर के नर्तन में।
पद विक्षेप चमत्कृत नभ में,
कुसुमित तरु कानन में।
झर-झर निर्झरिणी के निर्मल जल के कल-कल स्वर में।
कवि समूह के मुखरित ध्वनि भाव भंग के स्वर में।
कालजयी शिव की कविता है,
शब्दब्रह्म डमरू में।
हे नटराज कवीश्वर शंकर
वास् करो हम सबमें।
छँद ताल रस भाव भंगिमा, 
सहज सहेली संग में।
कविता विहरत नंदन वन में।
©आचार्य भागवत पाठक श्यामल