परम् पूज्य हे परमपिता,हमें जो भेजा तूने यहाँ
हालात जो फिलहाल है, करता हूँ उसको बयाँ।
नाम के लिए भी होते हैं बड़े काम यहाँ
काम करनेवाले भी होते हैं बदनाम यहाँ।
सुबह होता ठंडा तो गर्म होती शाम यहाँ
देशी बना विदेशी जैसा छलकता जाम यहाँ।
बारूद के धुएं में दिखती है दीवाली यहाँ
लगता है निकल गया दिमाग का दिवाला यहाँ
बाला यहाँ, हाला यहाँ,बिकता है ताला यहाँ
कभी-कभी मेला,अक्सर होता है रेला यहाँ
भूत भी फेंकते है घरों में रात को ढेला यहाँ।
खेतों में उपज रही ऊंची अटारियाँ
हरजगह थिरकती अधनंगी नारियाँ।
बेरोजगारी का हल्ला है,चोरबाजारी का गल्ला है
पढ़े लिखे बाप का भी बेटा पड़ा निठल्ला है।
फौलादी पँखो से उड़ते है लोग यहाँ
बारूदी सुरंगों में पड़ते हैं जहां तहां।
अलग बोलियों का दिखता मेल यहाँ
रोज हड़ताली भरते हैं अब जेल यहाँ।
साल 6 महीने में बदलती सरकार यहाँ
बातों ही बातों में निकलती तलवार यहाँ
चारो तरफ है फैला विद्युत का तार यहां
हर जगह है कचड़ों का लगा अम्बार यहाँ।
लूट जाते खड़े राहगीर सरेआम यहाँ
शासन के सिपाहा करते परेशान यहाँ
बड़े अक्खड़ लहराते पियक्कड़
शानदार जानदार छलकाते हैं जाम यहाँ।
हर तरफ सूखा है,आदमी सब भूखा है यहाँ
मौज में बैठा है भैंसा पड़ा पगुराता है यहाँ
यहाँ वहाँ सब दौड़ रहा,मानो कुछ जोड़ रहा
दूसरों को देख देखकर कुत्ता भौंकता है यहाँ।
अधखुलती सुंदरियां कागज में भोग यहाँ
नुक्कड़ में जाने पर झल्लाते हैं लोग यहाँ
गीत नहीं गाते, बस चिल्लाते है लोग यहाँ
मानो कुछ पाने को भाग रहे हैं लोग यहाँ।
अरसे से मिला नहीं कोई पहचाना यहाँ
बुझे फानूस सा लटका हिंदी जमाना यहां।
बहकते बवाल में बड़े बड़े भांड यहां
काटने को कुत्ते,धकियाने को सांढ़ यहाँ।
भावना के भूत रोते, जार जार यहाँ
मुरादों के सपने होते ,तार तार यहाँ।
मच्छर ही करते रात की मनुहार यहाँ
लटक सा गया, जीवन का प्यार यहां।
पानी के लिए होते सब हैं बेपानी यहाँ
पानी के लिए कुछ होते पानी-पानी यहाँ.
घर घर मे नेता है,घर में नाता पुराना यहां
चंदे के धंधे मर इबादत का बहाना यहाँ।
मयखाना यहाँ, बुतखाना यहाँ,हर जगह पैखाना यहाँ
खाना खराब होता,कदम कदम पे है दवाखाना यहाँ।
करिश्माई कुछ भी नहीं,बिल्कुल पुराना यहाँ
नया कुछ करना चाहा तो फटा पैजामा यहाँ
खम ठोक बैठे जो नया करतब दिखाने को
देखते ही देखते उखड़ गया शामियाना यहाँ।
कुछ भीतरी बाहरी का गूंजता अफसाना यहां।
बरसात के आगाज में कुछ मंजर पसरता यहाँ
सड़कें तो बहाना है,नदियों का सब मुहाना यहां।
जंगल ही जंगल है खुदाई वो लोगों की लगाई ही
घिरा है जमींदोज भूतों का तहखाना यहाँ
औरतों की बानगी में दिखता मरदाना यहाँ।
सैकड़ों शैतान बड़े बेईमान,पेटू पहलवान यहाँ
पूछे धनवान इंसान बनाने का कारखाना यहां
हुनर बदनाम यहाँ है ,काफी तामझाम यहाँ
तूती छिप बैठी है,देखके नक्कार खाना यहाँ।
©भागवत पाठक"श्यामल"